भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिल्ली में / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह |संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ…) |
|||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
झूठ जरूरी है दिल्ली में | झूठ जरूरी है दिल्ली में | ||
जमुना के बे-सेहत पानी की तरह | जमुना के बे-सेहत पानी की तरह | ||
+ | |||
+ | |||
+ | '''रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली | ||
</poem> | </poem> |
20:20, 20 दिसम्बर 2009 का अवतरण
कारों की रेस में
शामिल बैलगाड़ियाँ
ख़ुश है घोड़ागाड़ियों को देख कर
सभ्यता का विकास बरकरार है यहाँ
सर के ऊपर से गुज़रते हवाई जहाजों के
बावजूद।
चेहरे या तो बेरंग है
या फिर बदले हुए
मुलाक़ातें मुलाक़ातों की तरह नहीं है
प्रेमिकाएँ तक झूठ बोलती है यहाँ
दोस्त कहे जाने वाले लोग भी।
प्यार और दोस्ती के लिए
झूठ जरूरी है दिल्ली में
जमुना के बे-सेहत पानी की तरह
रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली