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"सौंह कियें ढरकौहे से नैन / बिहारी" के अवतरणों में अंतर
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00:04, 28 दिसम्बर 2009 का अवतरण
सौंह कियें ढरकौहे से नैन, टकी न टटै हिलकी हलियै।
मुँह आगै हू आये न सूझयौ कछू ,सु कहयौ कछु ये सुति साँभल ए।
भौर ते साँझि भई न अजौं, घरि भतिर बाहर कौ ढलिए।
रहे गेह की देहरी ठाढ़े दोऊ, उर लागी दुहून चलौ चलिए।।