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"हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों / बेनी" के अवतरणों में अंतर

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हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सोँ ,
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हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों,
मिलत न रतिदान जोग सँग जामिनी ।
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::मिलत न रतिदान जोग सँग जामिनी।
सुबरन भूषन सवाँरे ते विफल होत ,
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सुबरन भूषन सँवारे ते विफल होत,
जाहिर किये ते हँसैँ नर गजगामिनी ।
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::जाहिर किये ते हँसैं नर गजगामिनी।
रहै मन मारे लाज लागत उघारे बात ,
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रहै मन मारे लाज लागत उघारे बात,
मन पछितात न कहत कहूँ भामिनी ।
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::मन पछितात न कहत कहूँ भामिनी।
बेनी कवि कहैँ बड़े पापन तेँ होत दोऊ ,
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बेनी कवि कहैं बड़े पापन तें होत दोऊ,
सूम को सुकवि औ नपुँसक को कामिनी ।
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::सूम को सुकवि औ नपुँसक को कामिनी।
  
  
 
'''बेनी का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
'''बेनी का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
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16:02, 2 जनवरी 2010 का अवतरण

हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों,
मिलत न रतिदान जोग सँग जामिनी।
सुबरन भूषन सँवारे ते विफल होत,
जाहिर किये ते हँसैं नर गजगामिनी।
रहै मन मारे लाज लागत उघारे बात,
मन पछितात न कहत कहूँ भामिनी।
बेनी कवि कहैं बड़े पापन तें होत दोऊ,
सूम को सुकवि औ नपुँसक को कामिनी।


बेनी का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।