भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुखौटे / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=जब मैं स्त्री हूँ / रंजना …)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:40, 20 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

ईश्वर करे
मेरे सारे मुखौटे
चोरी हो जाएँ

और देख सकूँ मैं
ख़ुद को
अपने नैसर्गिक रूप में।