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"पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ १०" के अवतरणों में अंतर

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जो कह दिया, उसे कहने में, फिर मुझको संकोच नहीं,
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मन में कुछ वचनों में कुछ हो, मुझमें ऐसी बात नहीं;
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:सहज शक्ति मुझमें अमोघ है, दाव, पेंच या घात नहीं॥
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मैं अपने ऊपर अपना ही, रखती हूँ, अधिकार सदा,
  
 
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10:24, 29 जनवरी 2010 का अवतरण

जो कह दिया, उसे कहने में, फिर मुझको संकोच नहीं,
अपने भावी जीवन का भी, जी में कोई सोच नहीं।
मन में कुछ वचनों में कुछ हो, मुझमें ऐसी बात नहीं;
सहज शक्ति मुझमें अमोघ है, दाव, पेंच या घात नहीं॥

मैं अपने ऊपर अपना ही, रखती हूँ, अधिकार सदा,