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हमने जाना मगर क़रार के बाद | हमने जाना मगर क़रार के बाद |
21:20, 6 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
हमने जाना मगर क़रार के बाद
ग़म ही मिलते हैं एतबार के बाद
क्यूँ न सारे चराग़ गुल कर दें
कौन आता है इन्तिज़ार के बाद
ख़ुशबुओं की तलाश बंद करो
फूल खिलते नहीं बहार के बाद
इक नज़र दे गई क़रार मगर
दर्द बढ़ता गया क़रार के बाद
अक्स पूरा नज़र नहीं आता
आईने में किसी दरार के बाद
करना पड़ता है वक़्त का एज़ाज़
हमने जाना मगर ख़ुमार के बाद