भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सभी / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=उम्मीद का दूसरा नाम / अशोक …)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:40, 8 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

कमरे में सब कुछ शान्त है
चीज़ें अपने विन्यास में अविचल हैं
बाहर धूप इतनी सुबह दोपहर जैसी चटख़ है
मुटरी बड़बड़ा रही है-
सभी जैसे दम साधे
उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।