भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चराचर / वीरेन्द्र कुमार जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र कुमार जैन |संग्रह=कहीं और / वीरेन्द्र…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:37, 8 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
निःस्वप्न दोपहरी :
उस सुनसान टीले पर
चरती
एकाकिनी गाय
अचर हो गई :
उसकी टाँगों में
चौखम्भे अलिन्द में
पृथिवि आकाश हो गई है :
आकाश पृथिवि हो गया है :
चर अचर हो गया है :
अचर चर हो गया है...!
रचनाकाल : 21 मई 1963, गजपन्थ सिद्धक्षेत्र