भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रीति-भेंट / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकांत वर्मा |संग्रह=दिनारम्भ / श्रीकांत वर्…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:03, 14 फ़रवरी 2010 का अवतरण
इतने दिनों के बाद अकस्मात मिली तो आँसुओं ने उसके उसे, मेरे मुझे
भरमा दिया,
आँसू जब थमे तो मैं कुछ और था, वह कुछ और-
वह मेरी आँखों में, मैं उसकी आँखों में
ढूँढ़ रहा था शंका, अविश्वास और याचना से
ठौर!