भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धुन्ध / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकांत वर्मा |संग्रह=दिनारम्भ / श्रीकांत वर्…)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:19, 14 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

चक्कर
खाकर
स-ह-सा
दुनिया के
किसी
एक कोने में
गिरता
है
आ-द-मी

दूसरे
कोने
से
उभरता
है
ल-ड़ा-का

धुँध
में
डू-बी
हुई
है
जय-
प-ता-का
सी-ना
फुलाकर
क-ह-ता
है
वह
अ-प-ने
आप
से-

मैंने
उसे
मा-रा

स-ड़-क
के
कि-ना-रे
बैठी
बू-ढ़ी
औ-र-त
क-ह-ती
है
हत्यारा