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"संश्यात्मा विनश्यति / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर
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प्रेम को लेकर संशय।
बतख के अण्डे का
आमलेट खाते समय
प्रश्न था : "प्रतिबद्ध होना
मुमकिन है आज
क्या पूरी तरह?"
"हाँ, मुमकिन है
जान लेना
अपना ख़त्म होना
बुरी तरह।"
रचनाकाल : दिसम्बर, 2000