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"चाँदनी पूरनमासी की / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर

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21:51, 16 फ़रवरी 2010 का अवतरण

छैल चिकनिया नाच रही है।
डार कटीली आँखें पापिन
भिगो रही है जीवन-जल से
भेद-भाव से ऊपर उठकर
घूम-घूम कर गाँव-डगर सब
प्यार-पँजीरी बाँट रही है।

रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003
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