गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अधिभूत / त्रिलोचन
29 bytes added
,
23:42, 21 फ़रवरी 2010
|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मदन के शर केवल पाँच हैं
बिंध गए सब प्राण, बचा नहीं
हृदय एक कहीं, अधिभूत की
नियति है, यति है, गति है, यही
.
।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,282
edits