भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मौत तू एक कविता है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (आनंद / गुलज़ार moved to मौत तू एक कविता है / गुलज़ार) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
− | मौत तू एक कविता है | + | <poem> |
− | मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको | + | मौत तू एक कविता है |
+ | मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको | ||
− | डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे | + | डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे |
− | ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे | + | ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे |
− | दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब | + | दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब |
− | ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन | + | ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ | ||
+ | मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको</poem> | ||
''(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)'' | ''(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)'' |
09:27, 24 फ़रवरी 2010 का अवतरण
मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)