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"नागरबोध / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

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नागरिक / जंतु नहीं हम वन्य
सभ्यता है प्लेट-कप सौजन्य
और उसमें चाय सद्व्यवहार
आओ, थोड़ी गप्प हाँकें यार !

रचनाकाल : 1971-1981