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17:12, 10 अप्रैल 2010 का अवतरण
सुबह आयेगी
रचनाकार | विनोद तिवारी |
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प्रकाशक | शिवम प्रकाशन,`जय राजेश' ए-462, शाहपुरा,सेक्टर-ए(मान सरोवर कॉलोनी)भोपाल(म.प्र.)-462039 |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | शीघ्र प्रकाश्य काव्य-संकलन |
विधा | |
पृष्ठ | ८० |
ISBN | |
विविध |
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- तुमने तन और मन की बात सुनी / विनोद तिवारी
- त्रासदी की कथा या ख़ुशी की कथा / विनोद तिवारी
- सिद्धि के मंत्र निष्फल गए / विनोद तिवारी
- वक़्त की राय कर अनसुनी आपने / विनोद तिवारी
- सब सहेंगे मौत से भी मर नहीं जाएँगे हम / विनोद तिवारी
- सत्य-सुख की कामना बेहद ज़रूरी है / विनोद तिवारी
- देश यह उसने गढ़ा है / विनोद तिवारी
- परिवर्तन का नाम ज़िन्दगी / विनोद तिवारी
- ना हम तुमसे नेह लगाते / विनोद तिवारी
- तुमने तन और मन की बात सुनी / विनोद तिवारी
- आधी ख़ुशियाँ तो हम नहीं लेंगे / विनोद तिवारी
- हम भी होते आप-से अफ़सर हुज़ूर / विनोद तिवारी
- मैं चला मंज़िलों की तरफ़ दो क़दम / विनोद तिवारी
- ज़माने में बहुत तन्हा था वो / विनोद तिवारी
- बताए कोई हम किधर जा रहे हैं / विनोद तिवारी
- हम बिना चीखे रह सकते नहीं / विनोद तिवारी
- ख़ुशी मिली है कुछ दे कर भी / विनोद तिवारी
- भूलना था मगर याद आया मुझे / विनोद तिवारी
- हमने जिस पर भरोसा किया / विनोद तिवारी
- आप भी जब बच्चे होंगे/ विनोद तिवारी
- वक़्त पर काम आएँ बहुत / विनोद तिवारी
- दूर बहुत हैं चाँद-सितारे / विनोद तिवारी
- हर बात सही कहते हो हल क्यों नहीं देते / विनोद तिवारी
- कहाँ वो भाव गया प्यार बाँटने वाला / विनोद तिवारी
- पहचान देगी सिर्फ यहाँ बात आपकी / विनोद तिवारी
- दुख साथ थे दुख और भी पाए हैं शहर में / विनोद तिवारी
- आओ रहो कुछ देर कभी साथ हमारे / विनोद तिवारी
- सोच में ताप भरती हुई आजकल / विनोद तिवारी
- ख़ुशियाँ प्तयारी हैं हमने कहा/ विनोद तिवारी
- बहुत कीं रास्ते में ग़लतियाँ भी / विनोद तिवारी
- दिन भी हुआ तवील और धूप का सफ़र / विनोद तिवारी
- पता न पूछना यारो उदास लोगों का / विनोद तिवारी
- संसद में आरोप उछाले गए सदा/ विनोद तिवारी
- एक नन्हा-सा सुख हो दुखों के लिए / विनोद तिवारी
- वे हर दिल से प्यार मिटा कर मानेंगे / विनोद तिवारी
- हम तो रातों इस चिंता में रोए हैं / विनोद तिवारी
- ज्ञान नहीं पर बातें करते ख़ाली -पीली मज़हब की / विनोद तिवारी
- देखना हाथ से पल निकल जाएँगे / विनोद तिवारी
- कहाँ रही अब भैया, अलगू-जुम्मन वाली पंचायत / विनोद तिवारी
- काल की तेज़ धारा से कट कर कटी / विनोद तिवारी
- आपस में लड़ कर अक्सर घायल हो जाते हैं / विनोद तिवारी
- देखा तुमने रोते-रोते रात गई / विनोद तिवारी
- आसमाँ से सुबह जब उतर आएगी / विनोद तिवारी
- / विनोद तिवारी