भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चंद्र मानव / लेस मरे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लेस मरे |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> अधजमे दही की तरह छलम…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:26, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
अधजमे दही की तरह छलमल
आकाश के नीचे, शादी से लौटते हुए
ऊपरी बाड़े में जब हमने गाड़ी मोड़ी
छाया के कंगारू भाग निकले
तब जाकर साफ़-साफ़ दीखा
चेहरा उस चंद्रमानव का
जो अब तक करता है तेल-मालिश अपनी माँ की
और उसे भेजता है रोशनी
कि उसने उसको हाथ-पाँवों से सलामत,
ठीक डील-डौल के साथ किया पैदा!
उसकी चमक हमारे ख़ून में है।
धरती अगर स्वस्थ हो चुकती पूरी
उस प्रसव के बाद
पैदा नहीं होता कुछ छोटा!
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका