भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बचे रहो / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुव…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:08, 30 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
हज़ार कई हज़ार हज़ारों मर गए भूख से
--ऐसा कहा
इतनी बड़ी संख्या बताई कि उतनी बड़ी
आड़ हो गई
कि कोई देख नहीं पाया कि मैं
उनमें नहीं था