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"आलपिनों का शहर / महेश सन्तुष्ट" के अवतरणों में अंतर

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छलनी नहीं  बल्कि  
 
छलनी नहीं  बल्कि  
 
आलपिनों का शहर हो गया!
 
आलपिनों का शहर हो गया!
 
 
'''मूल राजस्थानी से अनुवाद : दीनदयाल शर्मा'''
 
 
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12:14, 2 मई 2010 के समय का अवतरण

आज फिर कोई
मेरे सीने में
एक तीखी
आलपिन चुभो गया।

दर्द का
एक टुकड़ा
पाण्डुलिपि की तरह
मेरे सीने से जोड़ गया।

आजकल
आदमी भी
आलपिन से बदतर हो गया।

आलपिन हमेशा
छेद कर
दो पन्नों को जोड़ती है।
किन्तु आदमी
आदमी से जुड़ने के बाद
एक घिनौना छेद करता है।

और
एक-एक छेद से
मेरा सीना
छलनी नहीं बल्कि
आलपिनों का शहर हो गया!