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"देशगीत : अनुरागमयी वरदानमयी / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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'''देशगीत'''
 
  
 
अनुरागमयी वरदानमयी
 
अनुरागमयी वरदानमयी

16:04, 4 मार्च 2007 का अवतरण

लेखिका: महादेवी वर्मा

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अनुरागमयी वरदानमयी

भारत जननी भारत माता!

मस्तक पर शोभित शतदल सा

यह हिमगिरि है, शोभा पाता,

नीलम-मोती की माला सा

गंगा-यमुना जल लहराता,

वात्सल्यमयी तू स्नेहमयी

भारत जननी भारत माता।



धानी दुकूल यह फूलों की-

बूटी से सज्जित फहराता,

पोंछने स्वेद की बूँदे ही

यह मलय पवन फिर-फिर आता।

सौंदर्यमयी श्रृंगारमयी

भारत जननी भारत माता।


सूरज की झारी औ किरणों

की गूँथी लेकर मालायें,

तेरे पग पूजन को आतीं

सागर लहरों की बालाएँ।

तू तपोमयी तू सिद्धमयी

भारत जननी भारत माता!