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"कठिन-उम्र किशोरी / प्रदीप जिलवाने" के अवतरणों में अंतर

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उठना-बैठना-चलना कठिन
 
उठना-बैठना-चलना कठिन
 
किसी से दो बातें करना कठिन
 
किसी से दो बातें करना कठिन
घर - दफ्तर - बाहर कठिन
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घर-दफ्तर-बाहर कठिन
 
मर्ज़ी का कुछ पहनना कठिन  
 
मर्ज़ी का कुछ पहनना कठिन  
  

21:10, 17 मई 2010 के समय का अवतरण

उसका हँसना कठिन
रोना कठिन
उसका सोना कठिन
उठना-बैठना-चलना कठिन
किसी से दो बातें करना कठिन
घर-दफ्तर-बाहर कठिन
मर्ज़ी का कुछ पहनना कठिन

कुल मिलाकर
वह
कठिन समय में
कठिनाइयों से घिरी
एक कठिन लड़की है
इससे बढ़कर
वह कुछ ज़्यादा ही कठिन-उम्र किशोरी है
जिसे आसान समझने की भूल
एक कठिन मर्दाना कमज़ोरी है।