भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आवारा न हो जाएँ / हेमन्त श्रीमाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त श्रीमाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> रोको इन हवाओ…)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:31, 27 मई 2010 के समय का अवतरण

रोको इन हवाओं को आवारा न हो जाएँ
पत्ता ही पत्ते का हत्यारा न हो जाए

मज़हब की लड़ाई में डर है तो महज़ इतना
टुकडे़ टुकडे़ ऑंगन दोबारा न हो जाए

चाहत के घरौंदो तक बारूदी सुरंगें हैं
भूले से कोई पागल अंगारा न हो जाए

कुर्सी ने बना डाले गलियारे ही गलियारे
अब तो ये दुआ है कि अँधियारा न हो जाए