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अकेलेपन / नरेन्द्र शर्मा
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13:33, 30 मई 2010
देखते आकाश बीती आज आधी रात,
व्यर्थ है
ओ आय
वो आये
अब भी याद भूली बात,
सह चुका हूँ बहुत से आघात पर आघात,
अभी कुछ-कुछ रुका-सा था हृदय का रोदन!
Aditi kailash
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