भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भँवरा / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> गुन-गुन …)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:59, 31 मई 2010 के समय का अवतरण

गुन-गुन करता भँवरा आया ।
कलियों-फूलों पर मंडराया ।।

यह गुंजन करता उपवन में ।
गीत सुनाता है गुंजन में ।।

कितना काला इसका तन है ।
किन्तु बड़ा ही उजला मन है ।

जामुन जैसी शोभा न्यारी ।
ख़ुशबू इसको लगती प्यारी ।।

यह फूलों का रस पीता है ।
मीठा रस पीकर जीता है ।।