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राम ने पुतलों में आग लगाई
अन्याय पर न्याय ने विजय पाई
आयोजकों ने दी बधाई
लोगों ने ख़ुशी मनाई
इस धरा पर
जलाए गए रावण
कित्ते बड़े-बड़े
और हँसते रहे अन्यायी
जीवित खड़े-खड़े
रचनाकाल : 1995