भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बापू जी के बंदर / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> बापू गाँधी जी के बन्द…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:15, 13 जून 2010 के समय का अवतरण
बापू गाँधी जी के बन्दर
तीनों मेरे मन के अन्दर।
पहला बन्दर कहता है
बुरा मत सुनो।
दूजा बन्दर कहता है
बुरा मत देखो।
तीजा बन्दर कहता है
बुरा मत कहो।
तीनों मेरे साथी सच्चे
कहना माने हम सब बच्चे।।