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"प्यार / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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ऐसे चूमा  
 
ऐसे चूमा  
 
फूल के सारे दुख  
 
फूल के सारे दुख  
ख़ुश्बू बन कर बह निकले हैं
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ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं
 
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03:33, 14 जून 2010 का अवतरण

अब्र-ए-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं