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"एक दफ़नाई हुई आवाज़ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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फूलों और किताबों से आरास्ता घर है
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तन की हर आसाइश देने वाला साथी
 
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आँखों को ठंडक पहुँचाने वाला बच्चा
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लेकिन उस आसाइश, उस ठंडक के रंगमहल में
 
लेकिन उस आसाइश, उस ठंडक के रंगमहल में
 
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जहाँ कहीं जाती हूँ
जहां कहीं जाती हूं
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बुनियादों में बेहद गहरे चुनी हुई
 
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मुझे निकालो !
  
 
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आरास्ता=सुसज्जित, गिरय:=विलाप
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07:48, 15 जून 2010 का अवतरण

फूलों और किताबों से आरास्ता<ref>सुसज्जित</ref> घर है
तन की हर आसाइश देने वाला साथी
आँखों को ठंडक पहुँचाने वाला बच्चा
लेकिन उस आसाइश, उस ठंडक के रंगमहल में
जहाँ कहीं जाती हूँ
बुनियादों में बेहद गहरे चुनी हुई
एक आवाज़ बराबर गिरयः<ref>विलाप</ref> करती है
मुझे निकालो !
मुझे निकालो !

शब्दार्थ
<references/>