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"बाल पहेलियाँ-8 / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> '''1. दबे पाँव जो घर में …) |
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12:35, 15 जून 2010 के समय का अवतरण
1.
दबे पाँव जो घर में आती,
दूध मलाई चट कर जाती ।
म्याऊँ-म्याऊँ करती है जब,
चूहों में भगदड़ मच जाती ।।
2.
ढेरों शब्द संजोए जिसमें,
सबके अर्थ अनेक ।
सब भाषाओं में मिलती है,
दुनिया में अतिरेक ।।
3.
'चाय' शब्द के भीतर दिखती,
और दिखूँ 'बिग-बी' के साथ ।
घर का पहरेदार पति है,
मेरी आज्ञा से तैनात ।।
4.
दिखने में छोटी सी होती,
गज़ब भरा है ज्ञान ।
पढ़कर इसको बन सकते हम,
बहुत बड़े विद्वान ।।
5.
टी०वी० से पहले थे जिसके,
सारे लोग दीवाने ।
हर घर में शोभा थी जिससे,
सुनते ख़बरें गाने ।।
उत्तर
1. बिल्ली
2. शब्दकोश
3. चाबी
4. पुस्तक
5. रेडियो