भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुनिया / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> मुनिया रोती ऊँ-ऊँ-ऊँ, …)
(कोई अंतर नहीं)

02:38, 17 जून 2010 का अवतरण

मुनिया रोती ऊँ-ऊँ-ऊँ,
ना जाने रोती है क्यूँ ।

किसने इसको मारा है,
या इसको फटकारा है ।

रोना अच्छी बात नहीं,
फिर मुनिया रोती है क्यूँ ।

गुडिय़ा इसकी रूठ गई,
या गुडिय़ा फिर टूट गई ।

टूटी को हम जोड़ेंगे,
रूठी है तो रूठी क्यूँ ।

मुनिया को मनाएँगे,
बार-बार बहलाएँगे ।

कारण पूछें रोने का,
मुनिया तू रोती है क्यूँ ।