भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुनिया / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
फिर मुनिया रोती है क्यूँ ।
 
फिर मुनिया रोती है क्यूँ ।
  
गुड़िय़ा इसकी रूठ गई,
+
गुड़िया इसकी रूठ गई,
या गड़िय़ा फिर टूट गई ।
+
या गड़िया फिर टूट गई ।
  
 
टूटी को हम जोड़ेंगे,
 
टूटी को हम जोड़ेंगे,

02:39, 17 जून 2010 के समय का अवतरण

मुनिया रोती ऊँ-ऊँ-ऊँ,
ना जाने रोती है क्यूँ ।

किसने इसको मारा है,
या इसको फटकारा है ।

रोना अच्छी बात नहीं,
फिर मुनिया रोती है क्यूँ ।

गुड़िया इसकी रूठ गई,
या गड़िया फिर टूट गई ।

टूटी को हम जोड़ेंगे,
रूठी है तो रूठी क्यूँ ।

मुनिया को मनाएँगे,
बार-बार बहलाएँगे ।

कारण पूछें रोने का,
मुनिया तू रोती है क्यूँ ।