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"सब के कुछ समझौते है / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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आँखें, पलक भिगोते हैं|<br>
 
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गोली खाकर सोते हैं|<br><br>
 
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पर आँखो से वो तोते हैं|<br><br>
 
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09:56, 19 जून 2010 के समय का अवतरण

आँखें, पलक भिगोते हैं|
सब के कुछ समझोते हैं|

नींद नहीं उनको आती,
गोली खाकर सोते हैं|

कहने को तो इंसाँ हैं,
पर आँखो से वो तोते हैं|

ऊपर वाले पर निर्भर,
कितने अवसर खोते हैं|

दोष किसे दें हम "वाते",
खेत हमीं ने जोते हैं|