भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भूख / रेणु हुसैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: ऊंची—ऊंची मीनारों के आलीशान कमरों में महकते लिहाफ लिए सोने वाले…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=रेणु हुसैन
 +
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
ऊंची—ऊंची मीनारों के  
 
ऊंची—ऊंची मीनारों के  
 
आलीशान कमरों में  
 
आलीशान कमरों में  

13:03, 29 जून 2010 के समय का अवतरण

ऊंची—ऊंची मीनारों के
आलीशान कमरों में
महकते लिहाफ लिए
सोने वाले कुत्तो
सावधान रहो
 
कहीं तुम्हारे गले पड़ी
सोने की चेन को
कहीं तुम्हारे महंगे बिस्कुट
ले ना जाए कहीं चुराकर
कोई आदमी
 
तुम कुत्ते हो
तुमको तो मालूम ही होगा
कि इस बेरहम शहर में
भूख के मारे इंसानों की
कोई कमी नहीं
 
भूख का मारा
चाहे इंसान हो या कुत्ता
कुछ भी कर सकता है।