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"घोड़े ही घोड़े हैं / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

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घोड़े ही घोड़े हैं
 
घोड़े ही घोड़े हैं
 
 
दौड़ रहे बेलगाम घोड़े हैं सड़कों पर
 
दौड़ रहे बेलगाम घोड़े हैं सड़कों पर
 
  
 
घोड़े ये आदिम हैं
 
घोड़े ये आदिम हैं
 
 
सदियों से
 
सदियों से
 
 
ऐसे-ही दौड़ रहे
 
ऐसे-ही दौड़ रहे
 
 
थकें नहीं थमें नहीं
 
थकें नहीं थमें नहीं
 
 
यह कैसा पागलपन
 
यह कैसा पागलपन
 
 
कौन कहे
 
कौन कहे
 
  
 
वैसे भी खतरे थोड़े हैं सड़कों पर
 
वैसे भी खतरे थोड़े हैं सड़कों पर
 
 
घोड़े ही घोड़े हैं
 
घोड़े ही घोड़े हैं
 
  
 
बिजली है पांवों में
 
बिजली है पांवों में
 
 
बादल-से
 
बादल-से
 
 
उड़ते उनके अयाल
 
उड़ते उनके अयाल
 
 
दूर कहीं झरने में
 
दूर कहीं झरने में
 
 
ऐड़ लगा
 
ऐड़ लगा
 
 
जल गाता है ख़याल
 
जल गाता है ख़याल
 
  
 
वही राग झरनों ने मोड़े हैं सड़कों पर
 
वही राग झरनों ने मोड़े हैं सड़कों पर
 
 
घोड़े ही घोड़े हैं।
 
घोड़े ही घोड़े हैं।
 
  
 
कथा एक -
 
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कहते हैं किरणों ने
 
कहते हैं किरणों ने
 
 
रूप धरा घोड़ों का
 
रूप धरा घोड़ों का
 
 
बार-बार
 
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मिलन हुआ था
 
मिलन हुआ था
 
 
उनके जोड़ों का
 
उनके जोड़ों का
  
 
वही रूप किरणों ने छोड़े हैं सड़कों पर
 
वही रूप किरणों ने छोड़े हैं सड़कों पर
 
 
घोड़े ही घोड़े हैं।
 
घोड़े ही घोड़े हैं।
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12:01, 2 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

घोड़े ही घोड़े हैं
दौड़ रहे बेलगाम घोड़े हैं सड़कों पर

घोड़े ये आदिम हैं
सदियों से
ऐसे-ही दौड़ रहे
थकें नहीं थमें नहीं
यह कैसा पागलपन
कौन कहे

वैसे भी खतरे थोड़े हैं सड़कों पर
घोड़े ही घोड़े हैं

बिजली है पांवों में
बादल-से
उड़ते उनके अयाल
दूर कहीं झरने में
ऐड़ लगा
जल गाता है ख़याल

वही राग झरनों ने मोड़े हैं सड़कों पर
घोड़े ही घोड़े हैं।

कथा एक -
कहते हैं किरणों ने
रूप धरा घोड़ों का
बार-बार
मिलन हुआ था
उनके जोड़ों का

वही रूप किरणों ने छोड़े हैं सड़कों पर
घोड़े ही घोड़े हैं।