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"थिरकती है तृष्णा (कविता) / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

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<poem>थिर थार पर
 
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थिरकती है तृष्णा
 
थिरकती है तृष्णा
 
 
दौड़ता है मृग
 
दौड़ता है मृग
 
 
जलता है जल
 
जलता है जल
 
 
टलता है जल
 
टलता है जल
  
  
 
मरता है मृग
 
मरता है मृग
 
 
फाड़-फाड़ दृग
 
फाड़-फाड़ दृग
 
 
रहती है तृष्णा
 
रहती है तृष्णा
 
 
देखता है थार
 
देखता है थार
 
 
पूछता है थार;
 
पूछता है थार;
 
 
कौन है बड़ा,
 
कौन है बड़ा,
 
 
मृग
 
मृग
 
 
तृष्णा
 
तृष्णा
 
 
या फिर मैं
 
या फिर मैं
 
 
जो रहूंगा थिर ।
 
जो रहूंगा थिर ।
 
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03:34, 3 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

थिर थार पर
थिरकती है तृष्णा
दौड़ता है मृग
जलता है जल
टलता है जल


मरता है मृग
फाड़-फाड़ दृग
रहती है तृष्णा
देखता है थार
पूछता है थार;
कौन है बड़ा,
मृग
तृष्णा
या फिर मैं
जो रहूंगा थिर ।