भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तस्कीं को हम न रोयें जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: ग़ालिब Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:ग़ालिब ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* त...) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=ग़ालिब |
− | + | }} | |
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
− | + | ||
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले<br> | तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले<br> |
20:23, 27 जनवरी 2008 का अवतरण
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले
हूराँ-ए-ख़ुल्द में तेरी सूरत मगर मिले
अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यों तेरा घर मिले
साक़ी गरी की शर्म करो आज वर्ना हम
हर शब पिया ही करते हैं मै जिस क़दर मिले
तुझ से तो कुछ कलाम नहीन लेकिन अए नदीम
मेरा सलाम कहीयो अगर नामाबर मिले
तुम को भी हम दिखाये के मजनूँ ने क्या किया
फ़ुर्सत कशाकश-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ से गर मिले
लाज़िम नहीं के ख़िज्र की हम पैरवी करें
माना के एक बुज़ुर्ग हमें हम सफ़र मिले
अए साकनान-ए-कुचा-ए-दिलदार देखना
तुम को कहीं जो ग़लिब-ए-आशुफ़्ता सर मिले