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"चुप भी / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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बोलते हुए
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बहुत बार
चुप भी होती है औरत
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कहीं नहीं होता
बहुत बार कहीं नहीं होता
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न विश्वास में
न विश्वास में , न आस में
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न आस में
 
उसके होंठों से  
 
उसके होंठों से  
झरता हुआ एक भी शब्द
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झरता हुआ
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एक भी शब्द
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बोलते हुए अक्सर
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चुप भी होती है औरत
  
 
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21:23, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


बहुत बार
कहीं नहीं होता
न विश्वास में
न आस में
उसके होंठों से
झरता हुआ
एक भी शब्द
बोलते हुए अक्सर
चुप भी होती है औरत