भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शहर-3 / जय राई छांछा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जय राई छांछा |संग्रह= }} Category:नेपाली भाषा {{KKCatKavita}} <Po…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:18, 21 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
मुखौटे बनाने वाले कारखाने
और
मुखौटे लगाने वाले लोग
दोनों मिलते हैं शहर में
इसलिए
प्यार और सद्भावना का
अकाल रहता है शहर में ।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला