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"कविता-4 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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चारों ओर उठ रही है।
 
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यह पुरानी धुनों की  
 
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याद दिला रही है
 
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अचानक मेरे ह्दय में
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उगने लगी हैं
 
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मेरा प्‍यार पास नहीं है
 
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पर उसके स्‍पर्श मेरे केशों पर हैं
 
पर उसके स्‍पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज अप्रैल के
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और उसकी आवाज़ अप्रैल के
सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है।
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सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है ।
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आसमानों से मुझे देख रही है
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उसके चुंबन हवाओं में हैं
 
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पर उसके होंठ कहां हैं ...
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पर उसके होंठ कहाँ हैं ...
  
अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल
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'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : कुमार मुकुल'''
 
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20:45, 21 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

मेरे प्‍यार की ख़ुशबू
वसंत के फूलों-सी
चारों ओर उठ रही है।
यह पुरानी धुनों की
याद दिला रही है
अचानक मेरे हृदय में
इच्‍छाओं की हरी पत्तियाँ
उगने लगी हैं

मेरा प्‍यार पास नहीं है
पर उसके स्‍पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज़ अप्रैल के
सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है ।
उसकी एकटक निगाह यहाँ के
आसमानों से मुझे देख रही है
पर उसकी आँखें कहाँ हैं
उसके चुंबन हवाओं में हैं
पर उसके होंठ कहाँ हैं ...

अंग्रेज़ी से अनुवाद : कुमार मुकुल