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एक देश को भ्रम से कभी कुछ मिलेगा
उसके सपने में उत्कण्ठा को कौन सुलगाएगा
जो भी देश अपने बेटों को दूर भेज देता है
सूर्यास्त के समय उनको खो देता है
रचनाकाल : 21 अगस्त 2000
अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस