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11:21, 2 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

हवाओं ने बुहारा
और
खुरों ने रौंदा
लहरों ने हटाया
जीवाणुओं ने खाया
ऋतुचक्रों ने मिटाया

इतिहास की झाड़ू से भला कौन बच पाया !
एक पँखुरी थी
पलक झपकते
चकनाचूर हुई ।