भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"स्वप्न-शेष / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |संग्रह=शरीर कविता फसलें और …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:53, 2 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
सपनों का क्या करो
कहाँ तक मरो
इनके पीछे
कहाँ-कहाँ तक
खिंचो
इनके खींचे
कई बार लगता है
लो
यह आ गया हाथ में
आँख खोलता हूँ
तो बदल जाता है दिन
रात में !