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"क्षितिज / विजय बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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20:52, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

क्षितिज पर
छाई हुई है धूल
उदास धुन की तरह
बज रही है ख़ामोशी...

साँस की तरह आ-जा रही है
वो मेरे फेफड़ों में
धड़क भी तो रहा हूँ मैं
ठीक दिल की तरह...