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"आवाज़ आ रही है / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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10:06, 5 सितम्बर 2010 का अवतरण

आवाज़ आ रही है तुमने सुना तो होगा
मजबूरियो के हक में कुछ फैसला तो होगा

विपरीत है हवाएँ, गुम हो गई दिशाएँ
जंगल के सिलसिलों मे कोई रास्ता तो होगा

इतिहास ने कही भी जिनको जगह नहीं दी
कुछ मेहरबान उन पर जुगराफिया तो होगा

पूजाघरों में कैसे ये दाग दिखते हैं
इश्वर भी कुछ क्षणों को थर्रा गया होगा

जो ज़िन्दगी के हक को नाहक बना रहे हैं
उनके मुकाबले में कोई खड़ा तो होगा