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"दर्द की चाशनी है / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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23:46, 6 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
दर्द की चाशनी है रंगों में
डूब जाने का भय तरंगो में
देखने को शमा तरसती है
मौत के हौंसले पतंगो में
तुम खिलो, हम खिले, सभी खिल जाएँ
बात ऐसी तो हो उमंगो में
गीत, संगीत प्रीत के विपरीत
भक्तजन खो गए है दंगो में
होड़, गठजोड़, तोड़ की बातें
संत दोहरा रहे है सत्संगों में
लुत्फ़ आता नहीं लतीफ़ों में
हम तो उलझे हैं आत्मव्यंगों में