भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हारे पहुँचे हुए वकील / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेरजंग गर्ग |संग्रह=क्या हो गया कबीरों को / शेरज…)
 
(कोई अंतर नहीं)

08:42, 12 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

हारे पहुँचे हुए वकील।
फेल हुई हर दलील।

व्यक्ति हुआ संवेदनहीन,
क्षेत्र हुए संवेदनशील।

द्वार न्याय के बन्द हुए,
किससे जाकर करें अपील।

पथभ्रष्टों ने लक्ष्य गँवाया,
भटके रोज़ हज़ारों मील।

मानवता का भाग्य किसी ने,
मानों आज कर दिया सील।