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"प्रपंच / पूनम तुषामड़" के अवतरणों में अंतर
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क्या तुम ईश्वर हो
या फिर ईश्वर होने का
रचा है प्रपंच?
वे बताते हैं-
हम हरिजन है
हरिजन- यानि हरि के जने
तो फिर हम और तुम
सजातीय हुए
फिर तुम्हारी आराधना और
हमारा तिरस्कार क्यों?
आखिर यह प्रपंच क्यों?