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19:28, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
रात कल गहरी नींद में थी जब
एक ताज़ा सफ़ेद कैनवास पर
आतिशी लाल सुर्ख रंगों से
मैंने रोशन किया था इक सूरज
सुबह तक जल गया था वो कैनवास
राख बिखरी हुई थी कमरे में मेरे...!