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लैण्डस्केप / गुलज़ार

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|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}} {{KKCatNazm}}
<poem>
दूर सुनसान- से साहिल के क़रीब
इक जवाँ पेड़ के पास
उम्र के दर्द लिए, वक़्त का मटियाला दुशाला ओढ़े
बूढ़ा - सा पॉम पाम का इक पेड़ खड़ा है कब से
सैंकड़ों सालों की तन्हाई के बाद
झुकके कहता है जवाँ पेड़ से: 'यार,