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"देखना-सुनना-कहना / केशव शरण" के अवतरणों में अंतर

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21:23, 26 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

किसी का सिर
आ जाता है आड़े
किसी की टोपी
किसी का कंधा

पूरा-पूरा दिखाई नहीं पड़ता है गोरखधंधा
और पूछिए तो
एक अलग कहानी सुनाता है हर बंदा
फिर कहिए भी तो
क्या कहिए !